“UPKL Scam: मैदान पर जीत, ज़िंदगी में हार

कबड्डी उन बच्चों के लिए सिर्फ एक खेल नहीं है, ये उनकी ज़िंदगी की वो एक उम्मीद है जो उन्हें मुश्किल वक्त में सहारा देती है। एक ऐसी रोशनी, जो उन्हें हर दिन जीने की ताकत देती है।

सोचिए एक लड़का सुबह-सुबह उठकर, बिना जूतों के, धूल भरे मैदान में खेल रहा है। उसके हाथ फटे हुए हैं, शरीर थका हुआ है, लेकिन वो हार नहीं मानता। उसकी माँ चुपचाप उसकी खुशहाली के लिए दुआ करती है, ये सोचकर कि यही खेल उनकी ज़िंदगी बदल सकता है। उसका पिता दिन-रात मेहनत करता है, सपना देखता है कि उसका बेटा एक दिन नाम कमाएगा और पूरे गांव का मान बढ़ाएगा।

Upkl

फिर आया Uttar Pradesh Kabaddi League — उनके लिए एक सुनहरा मौका। जूते खरीदे गए, जर्सी पहन कर हर कोई उनके सपनों को जी रहा था।

लेकिन मैच खत्म होने के बाद, उनके सपने भी टूट गए।

उनसे वादा किया गया था कि उन्हें सम्मान मिलेगा, पहचान मिलेगी, और उनकी मेहनत का उचित भुगतान होगा।

लेकिन उन्हें मिले bounced cheque, बेकार फोन कॉल और ऐसे आयोजक जो कहीं गायब हो गए।

आयोध्या का एक युवा खिलाड़ी अपनी दर्द भरी बात कहता है:

> “मैंने अपने पिता को वह चेक दिखाया। उनकी आँखों में उम्मीद की चमक थी। लेकिन बैंक ने बताया कि चेक फर्जी है। वो चमक फिर कभी नहीं लौटी।”

यह सिर्फ पैसा नहीं है। यह सम्मान, विश्वास और टूटे हुए सपनों की बात है।

फिर इन खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखनी शुरू की, #UPKLScam के साथ अपनी आवाज़ बुलंद की।

एक खिलाड़ी अपनी जर्सी को गले लगाते हुए कहता है:

> “यह जर्सी मेरा सपना थी, मेरी ज़िंदगी बदलने वाली थी। अब यह सिर्फ धोखे की याद बन गई है।”

लोगों ने उनकी बात सुनी, लेकिन league के आयोजक चुप रहे।

ना कोई माफी, ना कोई जवाब। बस एक खामोशी।

और यह खामोशी सबसे ज्यादा दर्द देती है — उन बच्चों के लिए जो गरीबी और मुश्किल हालात में भी अपने सपनों को जिंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं।

वे बस अपनी मेहनत का हक चाहते हैं। सच चाहते हैं। इंसाफ चाहते हैं।

वे हर दिन लड़ रहे हैं — मैदान में नहीं, ज़िंदगी के हर मोड़ पर।

और हमारा फर्ज़ है कि हम उनका साथ दें। उन्हें बताएं कि वे अकेले नहीं हैं।

यह सिर्फ एक league की समस्या नहीं है, यह हम सबकी जिम्मेदारी है — उन बच्चों की, जो अपनी ज़िंदगी बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

अगर हम चुप रहेंगे, तो उन्हें क्या संदेश जाएगा?

> “तुम्हारी मेहनत बेकार है। तुम्हारे सपने किसी के काम के नहीं।”

यह संदेश कभी किसी बच्चे को नहीं मिलना चाहिए।

इसलिए चलो, उनके साथ खड़े हों। न्याय की मांग करें। उम्मीद को वापस लाएं।

ताकि जब अगला बच्चा कबड्डी का बल्ला उठाए, तो वह डर के नहीं, पूरी उम्मीद के साथ खेले।

क्योंकि असली ताकत medals में नहीं, हर सपने को जीने की हिम्मत में है।

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