हैदराबाद, 10 मई 2025 –
जब हम बीमार होते हैं, हम डॉक्टर के पास जाते हैं। उन्हें भरोसे की तरह देखते हैं। हमें लगता है, ये वो लोग हैं जिनके पास हमारे दर्द का इलाज है।
लेकिन क्या हो जब वही डॉक्टर खुद अंदर से टूट रहा हो? जब वही इंसान जो ज़िंदगियाँ बचा रहा हो, किसी ऐसी लड़ाई में उलझ जाए जिसे वो किसी से बाँट ही न पाए?
इस हफ्ते हैदराबाद में ऐसा ही एक दिल तोड़ने वाला वाकया सामने आया।
एक जाने-माने डॉक्टर, जो Banjara Hills में एक नामी प्राइवेट अस्पताल में काम करते थे, को ₹5 लाख की cocaine के साथ पकड़ा गया।
हाँ, वही cocaine — जो सिर्फ फिल्मों या बड़े शहरों की पार्टीज़ में सुनी थी।
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वो रात जिसने सब कुछ बदल दिया
Dr. Shyam Reddy (बदला हुआ नाम), उम्र 34 साल, को उनके पेशे में काफी इज्जत मिली थी। मरीज़ उन्हें पसंद करते थे, सहकर्मी उनकी तारीफ करते थे।
लेकिन उस शांत चेहरे के पीछे एक तूफान पल रहा था।
जब पुलिस ने उनके घर पर छापा मारा, तो जो कुछ मिला, वो हैरान कर देने वाला था:
53 grams of cocaine
₹10,000 नगद जो ड्रग्स से जुड़ा हुआ माना जा रहा है
WhatsApp चैट्स, जिनमें ड्रग डील्स की बातें दर्ज थीं
अब ये सिर्फ नशा नहीं लग रहा था — ये आदत बन चुकी थी। शायद औरों तक फैल चुकी थी।
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क्या ये सिर्फ अपराध था… या मदद की एक खामोश पुकार?
ग़ुस्सा आना स्वाभाविक है। लेकिन एक सवाल ज़रूर उठता है — क्या वो सिर्फ गलत आदमी था, या फिर कोई जो अंदर से टूट चुका था?
हम डॉक्टरों को सुपरहीरो समझ लेते हैं। लेकिन वे भी इंसान होते हैं। और जब हम उनसे लगातार “मजबूत” बने रहने की उम्मीद रखते हैं, तो कहीं न कहीं वो अपने दर्द को दबा लेते हैं।
शायद Dr. Reddy भी थक चुके थे — शारीरिक रूप से नहीं, मानसिक रूप से। और उस थकावट ने उन्हें ऐसे रास्ते पर ले जाया, जो अब जेल की ओर जाता है।
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Addiction अब सिर्फ गली-कूचों तक सीमित नहीं है
जब हम “नशेड़ी” शब्द सुनते हैं, तो किसी गंदे कपड़ों वाले इंसान की छवि बनती है। लेकिन अब addiction की शक्ल बदल चुकी है।
अब वो इंसान भी इसमें फँस सकता है जो टाई पहनकर ऑफिस जाता है, जो अस्पताल में आपकी जान बचा रहा होता है।
और सबसे डरावनी बात — किसी को भनक तक नहीं लगती।
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कानून के आगे सब बराबर हैं
Dr. Reddy को NDPS Act के तहत गिरफ्तार किया गया है:
10 से 20 साल तक की सज़ा हो सकती है
भारी जुर्माना लगेगा
और उनका medical license भी रद्द किया जा सकता है
कानून अपना काम करेगा। लेकिन जो भरोसा टूटा है, वो शायद कभी ना जुड़ पाए।
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जनता की प्रतिक्रिया: ग़ुस्सा भी, दुख भी
समाचार सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर ग़ुस्से की लहर थी।
किसी ने लिखा:
“अगर डॉक्टर ही drugs लेंगे, तो आम आदमी किस पर भरोसा करे?”
तो कोई बोला:
“ये सिर्फ एक अपराध नहीं है, ये एक ऐसी कहानी है जिसे सुना नहीं गया — तब तक जब तक बहुत देर नहीं हो गई।”
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अब बात करने का वक़्त है — खुलकर
हमारे समाज में stress, mental health, और addiction को अब भी नजरअंदाज किया जाता है।
लेकिन अब वक़्त है कि:
हॉस्पिटल्स अपने स्टाफ के लिए mental health support प्रदान करें
थैरेपी को आम बनाया जाए — शर्म की बात नहीं, ज़रूरत है ये
परिवार और दोस्त वक्त रहते पूछें — “क्या तुम ठीक हो?”
क्योंकि जब तक हम चुप रहेंगे, कोई और Dr. Reddy इस अंधेरे में डूबता रहेगा।
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शायद एक डॉक्टर गिर गया, लेकिन औरों को बचाया जा सकता है
Dr. Reddy की कहानी एक चेतावनी है। एक मौका है रुककर सोचने का।
क्या ये खबर हमें सिर्फ डराती है? या हमें एक बेहतर, समझदार, और दयालु समाज बनने के लिए प्रेरित भी करती है?
क्योंकि अगर हम वक्त रहते एक-दूसरे की परवाह करें, तो शायद कोई भी इतनी दूर ना भटके।