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आज रॉकेट आसमान तक नहीं पहुंचा, लेकिन ISRO का हौसला ज़रूर पहुंचा

कभी-कभी, अंतरिक्ष हमें ये सिखाता है कि यह सिर्फ़ विज्ञान नहीं है—ये हिम्मत की भी बात है।

आज, 18 मई 2025, को ISRO (Indian Space Research Organisation) ने PSLV-C61 रॉकेट के ज़रिए EOS-09 satellite को लॉन्च किया। ये सिर्फ़ एक मिशन नहीं था—ये देश के किसानों, मौसम विभागों, आपदा प्रबंधन और देश के हर कोने की मदद के लिए एक उम्मीद थी।

लेकिन कुछ मिनटों में ही… वो उम्मीद टूट गई।

मिशन असफल हो गया। और उस रॉकेट के साथ हमारी सांसें भी कुछ पल को रुक गईं।

एक सपना जो सुबह आसमान की ओर निकला

सुबह का समय था। श्रीहरिकोटा का आसमान हल्का-हल्का नीला हो रहा था। ISRO के कंट्रोल रूम में टेंशन था, लेकिन साथ में भरोसा भी।

EOS-09, एक 1,696 किलोग्राम वज़नी सैटेलाइट, तैयार थी उड़ान के लिए। PSLV रॉकेट—हमारा पुराना, भरोसेमंद साथी—एक बार फिर अंतरिक्ष की ओर निकल पड़ा।

लॉन्च सही लग रहा था। पहला और दूसरा चरण (stage) बिलकुल सही तरीके से चले। घरों में लोग ताली बजा रहे थे। वैज्ञानिक मुस्कुरा रहे थे।

और फिर… एक अजीब सी खामोशी।

तीसरे चरण में अचानक प्रेशर गिर गया। रॉकेट को जो आखिरी पुश चाहिए था, वो नहीं मिला। सैटेलाइट अपनी कक्षा (orbit) तक नहीं पहुंच सका।

और बस, वहीं कहानी रुक गई।

ISRO Chairman Dr. V Radhakrishnan की सादगी और हिम्मत

मिशन के बाद, ISRO Chairman Dr. V Radhakrishnan मीडिया के सामने आए। न कोई बहाना, न कोई शोर—सिर्फ़ सच्चाई।

> “तीसरे चरण में एक गड़बड़ी पाई गई है। इस कारण मिशन पूरा नहीं हो सका।”

शब्द सीधे थे, लेकिन भाव भारी थे। उनके चेहरे पर ज़िम्मेदारी भी थी, दुख भी—but साथ ही एक ठोस इरादा भी, कि हम फिर से कोशिश करेंगे।

सिर्फ़ मशीनें नहीं, इंसान भी हैं पीछे

जब हम रॉकेट्स और सैटेलाइट की बात करते हैं, तो कई बार हम भूल जाते हैं कि इनके पीछे सैकड़ों वैज्ञानिकों की रातें, छात्रों के सपने, और परिवारों की कुर्बानियाँ होती हैं।

EOS-09 सिर्फ़ तकनीक नहीं था—वो एक उम्मीद था, एक जरिया जिससे हमारा देश और मज़बूत बन सकता था।

आज वो सैटेलाइट नहीं पहुंचा—लेकिन उन हज़ारों लोगों की मेहनत, जज़्बा और जूनून जरूर पहुंचा।

हार दुख देती है—but सिखाती भी है

हमें Chandrayaan-2 के समय भी दर्द हुआ था।
लेकिन Chandrayaan-3 के वक़्त हम सभी की आंखों में ख़ुशी के आँसू थे।

आज वही पल है—बीच का।

आज दुख है, लेकिन गर्व भी है। क्योंकि ISRO ने फिर एक बार हिम्मत की, कोशिश की। और यही सबसे बड़ी बात है।

आगे का सफर अभी बाकी है

ISRO की टीम अभी से हर सेकंड का डेटा जांच रही है। हर सिग्नल, हर सेंसर की बारीकी से जांच होगी, और फिर से उड़ान की तैयारी शुरू होगी।

आने वाले समय में हम देखेंगे:

Gaganyaan – भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन

Chandrayaan-5 – चांद के और करीब

और कई नए Earth observation satellites

आज बस एक रुकावट थी। मंज़िल अभी बाकी है।

ये सिर्फ़ रॉकेट की कहानी नहीं, ये हमारे सपनों की कहानी है

जब आप सुनते हैं “mission failed,” तो केवल विफलता मत सुनिए।

सुनिए: मेहनत
समर्पण
एक ऐसे देश की कहानी जो हार मानना नहीं जानता

अगर आपने कभी खुद के किसी बड़े सपने में असफलता देखी है, तो आप समझ सकते हैं कि आज ISRO में क्या महसूस हो रहा होगा।

ISRO: आपसे हमें गर्व है

हम आपके साथ हैं।

हम जानते हैं कि आपके जैसे वैज्ञानिक कभी रुकते नहीं। आप फिर उठते हैं, फिर सीखते हैं, फिर आगे बढ़ते हैं।

> “सितारे अभी भी वहीं हैं, और हम अब भी उन्हें छूने की कोशिश कर रहे हैं।”

धन्यवाद! अगर यह पोस्ट आपके दिल को छू गई हो, तो इसे ज़रूर साझा करें।
आईए, मिलकर कहें—ISRO का सपना अभी ज़िंदा है, और हम सब उसके साथ हैं।

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