India’s Middle Class Salary Crisis: क्यों मेहनत के बावजूद आमदनी बढ़ना मुश्किल हो गई है

बाहर से सब ठीक दिखता है, पर अंदर से नहीं

हर सुबह उठते हैं, ट्रैफिक से जूझते हैं, दिनभर काम करते हैं, हर बिल भरते हैं, हर EMI टाइम पर देते हैं, थोड़ी बहुत बचत की कोशिश करते हैं — और हफ्ते में एक बार बाहर खाना ऑर्डर कर लेते हैं।

कहीं भी ज़्यादा खर्च नहीं कर रहे, फिर भी महीने के अंत में वही सवाल रह जाता है —
“पैसा गया कहां?”

यही है आज के Indian middle class salary crisis की असली कहानी।

Middle class

तनख्वाह बढ़ी नहीं, खर्चे आसमान पर

हाल ही में PeepalCo के CEO, Ashish Singhal ने एक पोस्ट में लिखा:
“The biggest scam no one talks about is the middle-class salary crisis.”

उन्होंने बताया कि ₹5 लाख से ₹1 करोड़ कमाने वाले लोग, जिन्हें हम ‘मिडिल क्लास’ कहते हैं, उनकी सैलरी पिछले 10 सालों में बस 0.4% प्रति वर्ष ही बढ़ी है।

और दूसरी ओर, खाने-पीने की चीज़ें, स्कूल की फीस, पेट्रोल-डीज़ल, किराया — सबकी कीमतें लगभग 80% तक बढ़ गईं।
यानी सैलरी नहीं, हमारी असली आमदनी घट गई है।

2025 में Middle Class का मतलब — बस गुज़ारा करना

आपका खर्च कुछ ऐसा दिखता है:

बच्चों की स्कूल फीस,

घर का किराया या होम लोन EMI,

गाड़ी की EMI और पेट्रोल,

हर महीने की ग्रोसरी,

और कभी-कभी सोशल फंक्शन, तोहफे, और ज़रूरी खर्च।

अब इस पर health emergency या बच्चे की higher education जैसी ज़रूरत आ जाए — तो बजट पूरी तरह बिगड़ जाता है।

“सैलरी तो ठीक है, फिर भी पैसों की तंगी क्यों?”

कुछ आम बातें जो लोग कह रहे हैं:

“इस साल इंक्रीमेंट मिला, पर जेब में कुछ नहीं बचा।”

“हर EMI टाइम पर जाती है, पर सेविंग ज़ीरो है।”

“बीमार पड़ने की सोच भी नहीं सकता।”

“शादी-ब्याह का खर्च उठाना अब बोझ जैसा लगता है।”

यानी middle class अब सिर्फ जिंदा रहने की जद्दोजहद कर रही है।

इसका असर सिर्फ जेब पर नहीं, दिमाग पर भी पड़ रहा है

हर वक्त पैसों की टेंशन

बच्चों के भविष्य की चिंता

हेल्थ इश्यू आने पर डर

और सबसे बड़ा — “मैं अकेला ही क्यों झेल रहा हूँ?” वाली भावना

ये सिर्फ financial crisis नहीं, mental stress भी है।

लोग अब आवाज़ उठाने लगे हैं

Ashish Singhal की पोस्ट पर हज़ारों लोगों ने जवाब दिए:

> “₹25 लाख कमाता हूं, फिर भी महीने के अंत में कुछ नहीं बचता।”
“60 घंटे काम करके भी छुट्टी पर जाने के लिए क्रेडिट कार्ड यूज़ करना पड़ता है।”

Indian middle class quietly bleeding है — और कोई नहीं सुन रहा।

क्या किया जा सकता है?

1. Real salary growth जरूरी है

महंगाई को ध्यान में रखते हुए सैलरी में वाकई इज़ाफा होना चाहिए।

2. Tax relief मिलना चाहिए

Middle class सबसे ज़्यादा टैक्स देता है, फिर भी सरकार से कोई सीधी मदद नहीं मिलती।

3. Essential services सस्ती होनी चाहिए

Education, healthcare, housing — इनका बोझ middle class को तोड़ रहा है।

4. सादा जीवन को सम्मान मिले

हर साल फोन बदलना, फिजूल के खर्च करना — इसे कम करना पड़ेगा। Simple living को स्टेटस सिंबल बनाना होगा।

आख़िरी बात — शायद हमने शिकायत करना छोड़ दिया है

Middle class ना सरकार से मांग करता है, ना सड़कों पर आता है।
सब सहता है — चुपचाप। लेकिन अब समय है बोलने का।
क्योंकि अगर middle class नहीं बचेगा, तो देश की अर्थव्यवस्था भी नहीं बचेगी।

अगर आपने भी कभी ये महसूस किया है कि मेहनत बहुत है पर आगे बढ़ नहीं पा रहे — तो ये पोस्ट ज़रूर शेयर करें।
शायद जब आवाज़ें बढ़ेंगी, तब कुछ बदलाव भी आएगा।

 

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